लेखनी प्रतियोगिता -03-Jan-2023
कल्पना
कल्पना का फूल था वह मुस्कान जिसको
देख मैंने सपनों का पेड़ सजाया वह बस
चंद पल साथ चला था मैंने कल्पना का
जीवन उसके साथ जी कर एक पट्टी बांध
अपनी आंखों को उसके रंग की दुनिया
दिखा डाली थी, कल्पना ही थी मेरी तेरी
बाहों में खो जाने की जिसने मुझे उड़ने के
लिए पंखों का साथ दिया था, एक कल्पना
ही थी जो मैंने तुझे अपना समझ कर तेरे
लिए एक रंगीन दुनिया सजाई थी।
राखी सरोज
Sushi saxena
04-Jan-2023 10:39 PM
बहुत ही सुन्दर
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RAKHI Saroj
04-Jan-2023 11:33 PM
धन्यवाद
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Sachin dev
04-Jan-2023 04:26 PM
Well done
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RAKHI Saroj
04-Jan-2023 11:33 PM
धन्यवाद
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Raziya bano
04-Jan-2023 11:14 AM
Nice
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RAKHI Saroj
04-Jan-2023 11:33 PM
धन्यवाद
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